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बजा-बजाकर ताली

 

रविवार का दिन था उस दिन, 
गली के बच्चे मिलकर। 
बैठे थे बरगद के नीचे, 
क्रिकेट खेल के थककर। 
 
बातचीत में बात ये निकली, 
अच्छा ये बतलाओ। 
बड़े होकर क्या बनना चाहो, 
हम सब को सुनाओ॥
 
रोहित बोला, नेता बनकर, 
मैं भाषण बढ़िया बोलूँ। 
सुमित बोला, अभिनेता बन, 
फ़िल्मी पर्दे पर मैं डोलूँ॥
 
बीनू बोला, ज्योतिषी बन, 
सबका भविष्य बताऊँ। 
गोलू बोला, अधिकारी बन, 
मैं सब पर रोब जमाऊँ॥
 
बबलू बोला, गायक बनकर, 
गीत सुरीले गाऊँ। 
नित्तू बोला, मैं क्रिकेट में, 
आलराउंडर कहलाऊँ॥
 
बँटी बोला, सैनिक बन मैं, 
करूँ देश की रक्षा। 
दीनू बोला, फ़सल उगाऊँ, 
बनूँ किसान ये इच्छा॥
 
विविध रूप थे इच्छाओं के, 
सबकी सोच निराली। 
सुन के ख़ुश बहुत हुए सब, 
बजा-बजाकर ताली॥

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