अमृतमय अभिसार बने
काव्य साहित्य | कविता नरेंद्र श्रीवास्तव15 May 2019
इश्क़ मेरा इज़हार बने।
इश्क़ तेरा इक़रार बने॥
दर्पण से क्या लेना देना?
ये शोख़ अदा शृंगार बने॥
महक उठे तेरे आने से।
हर ज़र्रा गुलज़ार बने॥
तेरे गेसूओं के साये में।
हर लम्हा दिलदार बने॥
आज सुनें बातें दिल की।
अमृतमय अभिसार बने॥
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