ऐसा हो ...
काव्य साहित्य | कविता नरेंद्र श्रीवास्तव1 Dec 2019 (अंक: 145, प्रथम, 2019 में प्रकाशित)
दिल में एक अरमान लिये हों।
आन,बान व शान लिये हों॥
मुश्किल का हल मिल के खोजें।
होंठो पर मुस्कान लिये हों॥
धोखा,ठगी,छल,कपट,छुये न।
पल-पल,पग ईमान लिये हों॥
नफरत से मतलब ना कोई।
प्यार और सम्मान लिये हों॥
सभी धर्म,भाषा का आदर।
पूरा हिन्दुस्तान लिये हों॥
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