अनुराग
काव्य साहित्य | कविता डॉ. गुलाम मुर्त्तज़ा शरीफ़3 May 2012
वामना की कामना में
पुरोधिका का त्याग,
क्या यही है अनुराग!
वदतोव्याघात करते हो,
वाग्दंड देते हो,
दावा है पुरुषश्रेष्ट का,
कैसा निभाया साथ!!
क्या यही है अनुराग!!
पुष्प का पुष्पज लेकर,
मधुकर जताता प्यार,
गुनगुना कर, मन रिझाकर,
चूस लेता पराग!!
क्या यही है अनुराग!!
चारूचंद्र की चारूता,
मधुबाला की मादकता,
मधुमती की चपलता,
तजकर सब का प्यार,
क्यों लेते हो वैराग!!
क्या यही है अनुराग!!
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