अँग्रेज़ भोजन माँगेगा
काव्य साहित्य | कविता डॉ. गुलाम मुर्त्तज़ा शरीफ़23 May 2017
हिन्दी हमारी भाषा है,
यही हमारी आशा है,
यदी सच्ची सेवा करना है,
यदी सच्चा सेवक बनना है,
तो तोड़ फोड़ का त्याग करो
दूसरी भाषाओं का सत्कार करो
अँग्रेजी़ के "साइन बोर्ड" पर-
स्याही फेरने से कुछ ना मिलेगा!
मातृ भाषा पर कलंक लगेगा!
क्या किसी अँग्रेज़ ने कहा कि-
अँग्रेज़ी बोलो?
परंतु तुम बोलते हो!
मजबूर हो, बोलने पर!
इस मजबूरी का बहिष्कार करो,
हिन्दी का विस्तार करो
नये नये अविष्कार करो
फिर वह दिन भी आ जायेगा
अँग्रेज़ "फूड" नहीं –
भोजन माँगेगा!!
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