सच्चाई (पाराशर गौड़)
काव्य साहित्य | कविता पाराशर गौड़29 Aug 2007
इतिहास के पन्ने बोलेंगे
आज नहीं तो कल
राज़ वो तेरा खोलेंगे..।
तेरे एटम के आगे वैसे
कुछ भी नहीं मेरी क़लम,
वार दोनों करेंगे मित्र
किसीकी होगी चोट ज़्यादा
तो होगी किसीकी कम
ये तो वक़्त ही बतलायेगा
जब हम तुम ना रहेंगे..।
बच्चों का रुदन, माँ का दर्द
नहीं तुझे सुनाई देता
तेरी ज़्यादती के आगे
आज ईश्वर भी है रोता
तू भी रोयेगा एक दिन
दिन जब वो आयेंगे...।
तेरी चोट के घाव तो
भर जायेंगे, मेरे रहते रहते तक
मेरी क़लम की चोट
वो तो रहेगी सदियों सदियों तक
मैं जो लिखूँगा, लिख जाऊँगा
उसकी मार, मेरे यार
एटम से भी ज़्यादा होगी...।
ना रही नादर की नादरशाही
ना ही रोमन, रोम की
जिस ज़ख़ीरे के सहारे है तू खड़ा
देख लेना यही बनेगी
एक दिन तेरी तबाही
दूर से देखेंगे लोग तमाशा तेरा
तब तुझपे रोने वाले कोई न होंगे
हम न रहेंगे ना सही
लिखा हमारा रहेगा
आईना होगा ये कल का
जिसमें घटनाओं का ज़िक्र होगा
प्रयास हमारे ये..
कल की धरोहर होंगे...।
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