अन्तर
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता पाराशर गौड़25 Aug 2007
पत्नी, पति से बोली - हे.. जी,
थोड़ा हमें, अभिव्यक्ति और अनुभूति के बारे में
बताएँ --
है दोनों में क्या अन्तर
तनिक समझाएँ।
पति बोला -
अनुभूति वो है जैसे
प्रेमिका की बात, पत्नी से न कही जाए
जिसका अन्दर ही अन्दर कर अनुभव
रस लिया जाए
चेहरे पे भाव प्रकट हों पर
जो शब्दों से न कहा जाए
वो, अनुभूति है डियर ...
और अभिव्यक्ति?
जो तुम, मेरे चेहरे पे देख रही हो
बिन कुछ कहे सब पढ़ रही हो
कर कुछ नहीं सकती बस
अन्दर ही अन्दर कुढ़ रही हो
उसे अभिव्यक्ति कहते हैं डियर!
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