तुम्हारा और मेरा प्यार
काव्य साहित्य | कविता वीरेन्द्र बहादुर सिंह15 Aug 2024 (अंक: 259, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
मंज़िल हो या न हो,
परन्तु एक यादगार सफ़र जैसा है
तुम्हारा और मेरा प्यार . . .
शब्द हो या न हो,
परन्तु एक ख़ामोश ग़ज़ल जैसा है
तुम्हारा और मेरा प्यार . . .
पवन हो या न हो,
परन्तु एक स्वतंत्र आकाश जैसा है
तुम्हारा और मेरा प्यार . . .
लहर हो या न हो,
परन्तु एक सुंदर दरिया जैसा है
तुम्हारा और मेरा प्यार . . .
नाविक हो या न हो,
परन्तु एक मज़बूत नाव जैसा है
तुम्हारा और मेरा प्यार . . .
विवाद हो या न हो,
परन्तु एक मधुर झगड़े जैसा है
तुम्हारा और मेरा प्यार . . .
मंज़िल हो या न हो,
परन्तु एक यादगार सफ़र जैसा है
तुम्हारा और मेरा प्यार।
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