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बारहवीं के बाद का बवाल 

 

 

बारहवीं का रिज़ल्ट आते ही बच्चों और उनके माँ-बाप का बीपी बढ़ने लगता है। उनकी टेंशन सातवें आसमान पर पहुँच जाती है। बारहवीं पास करने वाले लड़के-लड़कियाँ कौन-सी लाइन पकड़ें, कहाँ एडमिशन कराएँ, इस चिंता में गार्जियन मवाली की तरह इधर-उधर भटकने लगते हैं। इस कॉलेज से उस कॉलेज चक्कर लगाते हैं। चारों ओर फ़ॉर्म भर कर ‘चातक’ की तरह ‘एडमिशन’ की राह देखते हैं। मेरिट लिस्ट के बाहर आते ही लॉटरी के टिकट की तरह ‘एडमिशन लगा’ कि नहीं, यह देखने के लिए तत्पर हो उठते हैं। बच्चे का अधिक प्रतिशत आया है, तब तो कोई दिक़्क़त नहीं होती, पर अगर कम आया गया, तब बच्चे की ही नहीं, गार्जियन की भी खटिया खड़ी हो जाती है। पहचान खोज कर, ‘सिफ़ारिश’ लगा कर या फिर डोनेशन देकर एडमिशन कराने के लिए परेशान हो उठते हैं। सचमुच, बारहवीं के रिज़ल्ट के बाद स्टुडेंट और पेरंट्स सभी की हालत पिंजरे में फँसे बंदर जैसी हो जाती है। हमारे यहाँ अभी भी साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स, इस तरह की तीन मुख्य फ़ैकल्टी हैं। इसके अलावा अन्य किसी स्ट्रीट में जाना हो तो किसी को कुछ सूझता ही नहीं है और कोई सोचता भी नहीं है। साइंस में ज़्यादातर लोग डॉक्टर, इंजीनियर या बीएससी करते हैं। कॉमर्स में सीए, सीएस, आईसीडब्ल्यू बनते हैं। और आर्ट्स में लोग लिटरेचर, हिस्ट्री या साइकोलाॅजी लेते हैं। इसके अलावा दुनिया में ‘और भी हैं राहें’ हैं तो लोग चांस लेना नहीं चाहते, इसलिए पेरंट्स, गार्जियन अपने पाल्य को मुख्य धारा में धकेल देते हैं। इस तरह देखा जाए तो इसके अलावा कोई ख़ास ऑप्शंस न होने से ही इस स्थिति का निर्माण हुआ है। ऐसे ‘भीषण’ संयोगों में हमने ऐसे तमाम नए ‘कैरियर ऑप्शंस’ पेश करने का बीड़ा उठाया है। ये ऐसे कैरियर ऑप्शंस है, जिनके लिए पढ़ने या रिज़ल्ट का मोहताज नहीं होना पड़ेगा। तो चलिए इस तरह के झकास ‘कैरियर ऑप्शंस’ चेक कर लेते हैं। 

बीबीजी यानी कि बैचलर इन बाबागिरी: 

फ़ैकल्टी में एडमिशन लेने के लिए आप को किसी भी तरह की शैक्षणिक योग्यता की ज़रूरत नहीं है। आपको हमेशा अस्खलित, धड़ाधड़ बोलना आना चाहिए। लोगों को अपनी बातों में ‘लपेट कर’ मूर्ख बनाना आता है तो और भी अच्छा है। धर्म, श्रद्धा और आस्था के नाम पर आप लोगों को ‘इमोशनली एक्सप्लाॅइट’ कर सकते हैं तो आप ‘बैचलर इन बाबागिरी’ में हंड्रेड पर्सेंट एडमिशन पा सकते हैं। इस कोर्स में आप को चंट और ठग बाबाओं का चरित्र पढ़ाया जाएगा। आप को ‘ढोंगी बाबा’ बनने की प्रेरणा दी जाएगी। किसी ‘चालाक बाबा’ के यहाँ आप को ट्रेनिंग-अप्रेंटिस के लिए भेजा जाएगा। आप लोगों को उल्लू बनाने में ‘माहिर’ हो जाएँगे तो आप को किसी आश्रम में ‘प्लेसमेंट’ भी मिल जाएगा। आप को तमाम किराए के भक्त भी प्रोवाइड कराए जाएँगे और आप एक बार ‘बैचलर इन बाबागिरी’ हो गए तो फिर आप की बल्ले-बल्ले हो जाएगी। लोग आप का भंडार भरते रहेंगे और आप को भगवान की तरह पूजते रहेंगे। इस कोर्स में किसी भी जाति, उम्र या साइज़ के स्त्री, पुरुष या अन्य का एडमिशन हो सकेगा। एडमिशन कभी भी लिया जा सकता है। 

एमएसजी यानी कि मास्टर ऑफ़ सुपारीगिरी: 

मास्टर इन सुपारीगिरी में एडमिशन लेने के लिए आप में किसी भी तरह की योग्यता, ज्ञान, होशियारी या अक़्ल का न होना ज़रूरी है। इसमें ‘सुपारी’ उठाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यहाँ यह कहना ख़ास ज़रूरी है कि इस कोर्स की सुपारी पान की दुकान पर मिलने वाली कच्ची, पक्की, भुनी सेवर्धन, टुकड़ा, गली, मीठी सुपारी के साथ दूर-दूर का सम्बन्ध नहीं है। कोई लेना-देना भी नहीं है। इस कोर्स में ‘सुपारी लेने’ यानी कि जीवित व्यक्ति की जान लेने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस कोर्स में कब, किसकी सुपारी ली जाए, यह सिखाने के साथ-साथ व्यक्ति के रुतबे और हैसियत के हिसाब से किस की कितने में सुपारी ली जाए, यह बताया-समझाया जाएगा, साथ ही हिंसक शस्त्रों और हिंसक भाषा का कैसे और कितना उपयोग करना है, का ‘प्रेक्टिकल नॉलेज भी दिया जाएगा। क्रूर व्यवहार, मारपीट, धमकी और पिटाई किस तरह करनी है, इसका सच्चा ज्ञान दिया जाएगा। कुख्यात, फिरौतीबाज़, अपहरणकर्ता, हायर्ड किलर्स की सुपारीबाज़ों से रूबरू मुलाक़ात करा कर उनसे ‘एक्च्युअल ट्रेनिंग’ भी दिलाई जाएगी। सुपारीबाज़ों को पुलिस और क़ानून के चंगुल में फँसे बग़ैर किस तरह धंधा करना है, इसका विशेषज्ञों से ज्ञान दिलाया जाएगा। ‘मास्टर इन सुपारीगिरी’ करने वाले सुपारीबाज़ के लिए भविष्य में राजनीति में घुसने का चांस मिलता है तो इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। 

पीओ यानी कि पेपर आऊट कराने की एक्च्युअल ट्रेनिंग: 

पीओ के कोर्स में विद्यार्थियों को मात्र अक्षर ज्ञान होना ज़रूरी है। क्योंकि इस कोर्स में पेपर आऊट कराने की ट्रेनिंग दी जानी है। यानी कि जब विद्यार्थी थोड़ा-बहुत पढ़ा होगा, तभी उसे ही पता चलेगा कि उसने एग्ज़ाम का पेपर आऊट कराया है या न्यूज़ पेपर। इस कोर्स में सभी जानी-अनजानी परीक्षाओं के पेपर आऊट करना सिखाया जाएगा। प्रोफ़ेसर, प्रिंसिपल, चपरासी, प्रेसवालों से किस तरह बात करनी है, इन्हें किस तरह पटाना है, इसका ज्ञान दिया जाएगा। परीक्षा के महत्त्व को देख कर पेपर आऊट कराने के मूल्य और मूल्यांकन तय करना सिखाया जाएगा। आऊट किए गए पेपर के लिए ग्राहक खोजना, उसे बेचना, उसकी मार्केटिंग स्किल सिखाई जाएगी और पेपर आऊट-लीक कर बेच कर पैसे बना कर ग़ायब हो जाना भी सिखाया जाएगा। पीओ की ट्रेनिंग लेने वाले आजीवन बिज़नेस कर सकेंगे। बताइए भाइयो हैं न कमाल के ‘कैरियर विकल्प . . .‘

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