सबूत
कथा साहित्य | लघुकथा वीरेन्द्र बहादुर सिंह1 Sep 2025 (अंक: 283, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
“कैसी बात कर रही हैं बहन? सारे सबूत आपकी आँखों के सामने हैं। पहले आपके पति ने अपनी सेक्रेटरी की हत्या की। उसके बाद ख़ुद आत्महत्या कर ली थी,” फोरेंसिक टीम के इंचार्ज ने थोड़ा तेज़ आवाज़ में कहा।
“बिलकुल नहीं साहब। आपकी जाँच ग़लत दिशा में जा रही है। मेरे पति हनीट्रेप के जाल में नहीं फँसे, इसलिए षड्यंत्र रच कर उन्हें मार दिया गया है,” विभूति ने रोते हुए कहा।
“अरे बहन, रिवाल्वर पर उनके हाथ के फ़िंगर प्रिंट्स मिले हैं। इट्स ओपन एंड शट केस।”
“ध्यान से देखिए साहब, मैं भी वही कह रही हूँ। रिपोर्ट में दाहिने हाथ का उल्लेख है। पर मेरे पति तो बाएँ हाथ से सारे काम करते थे।”
यह सुन कर सभी मीडिया वाले फ़ोरेंसिक एक्सपर्ट की ओर भागे।
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