स्त्री मनुष्य के अलावा सब कुछ है
काव्य साहित्य | कविता वीरेन्द्र बहादुर सिंह15 Sep 2025 (अंक: 284, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
वीरेंद्र बहादुर सिंह
स्त्री देवी है
स्त्री माँ है
स्त्री दुहिता है
स्त्री भगिनी है
स्त्री प्रेयसी है
स्त्री पत्नी है
स्त्री त्यागमूर्ति है
स्त्री अबला है
स्त्री सबला है
स्त्री शक्ति है
स्त्री नारयणी है
स्त्री नरक की खान है
स्त्री प्रेरणास्रोत है
स्त्री प्रेरणादायी है
स्त्री रहस्यमयी है
स्त्री दयालु है
स्त्री प्रेम करने वाली है
स्त्री सहनशील है
स्त्री लगनशील है
स्त्री प्रेम प्रधान है
स्त्री डायन है
स्त्री चुड़ैल है
स्त्री पूतना है
स्त्री कुब्जा है
स्त्री मंथरा है
स्त्री सीता है
स्त्री सावित्री है
स्त्री . . .
स्त्री स्त्री के अलावा सब कुछ है
स्त्री मनुष्य के अलावा सब कुछ है।
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