मनुष्य
काव्य साहित्य | कविता वीरेन्द्र बहादुर सिंह15 Jan 2023 (अंक: 221, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
मनुष्य रंग बदलता मनुष्य,
ढंग बदलता मनुष्य।
चाल बदलता मनुष्य,
ढाल बदलता मनुष्य।
पल में फिरता मनुष्य,
पल में बिफरता मनुष्य।
संग छोड़ता मनुष्य,
व्यंग्य बोलता मनुष्य।
तंग करता मनुष्य,
दंग करता मनुष्य।
सत्संग करता मनुष्य,
तब भी छल करता मनुष्य।
हालचाल पूछता मनुष्य,
बदहाल करता मनुष्य।
ऊपर उठता मनुष्य,
नीचे गिरता मनुष्य।
हक़ हड़पता मनुष्य,
लाज लूटता मनुष्य।
स्वार्थ साधता मनुष्य,
नियम लादता मनुष्य।
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