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साल 3032 में शायद

 

साल 3032 के उस दिन विश्व स्नेह नियंत्रण केंद्र ने तात्कालिक घोषणा की कि “नागरिकों ध्यान दो। सालों पहले कोई मानवता नाम का वायरस था, जो फिर से जाग्रत हो गया है। यह मानवता एक भयानक ‘बग’ है, जो आपके शरीर के सिस्टम में अचानक प्रकट होता है और फिर मनुष्य अजीब हरकतें करने लगता है। अगर अचानक कोई व्यक्ति किसी के दुख में उसकी मदद के लिए भागता दिखाई दे तो समझ लीजिए कि वह इस वायरस का शिकार हो गया है।”

इस वायरस के लक्षण अनदेखा नहीं किए जा सकते हैं। इसके लक्षण हैं किसी को रोते देख कर आपकी आँखों का नम होना, ज़रूरतमंद व्यक्ति को देख कर अपनेआप हाथ का जेब की ओर बढ़ जाना, किसी की तकलीफ़ सुन कर उसकी मदद के लिए तलब लगना, किसी की ग़लती के लिए उससे बदला लेने के बजाय उसे माफ़ कर देने की इच्छा होना और अगल-बगल से गुज़र रही गाय और कुत्ते को डंडा या लात मारने का मन न होना। 

इसमें किसी भी तरह का बदलाव आप ख़ुद में या घर के किसी भी सदस्य में अनुभव करें तो तत्काल नज़दीक के मानवता नियंत्रण केंद्र से संपर्क करें। हमारे वैज्ञानिक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की मदद से इस मानवता का एंटीडोट बनाने में लग गए हैं। प्रधानमंत्री की ओर से घोषणा की गई है कि जैसे ही किसी व्यक्ति में मानवता के गुण दिखाई दें, तुरंत उससे दूर हट जाएँ, उसे अकेला छोड़ दें। हमारी ख़ुफ़िया एजेंसी का मानना है कि यह वायरस भारत नाम के देश से फैला है। सामान्य जनता से निवेदन है कि वह चिंता न करे। सोशल डिस्टेंस रखे। किसी की ओर देख कर भूल से भी न मुसकराएँ, प्यार और सरलता का अनुभव होते ही तत्काल उसे नष्ट कर दें। दिन में तीन बार बिना वजह झगड़ा करते रहें या किसी निर्दोष को बिना वजह नुक़्सान पहुँचाते रहें। 

जब तक एंटीडोट की खोज नहीं हो जाती, तब तक ‘लुच्चईसीटामोल’ और ‘स्वार्थोमाइसीन’ की ख़ुराक बार-बार लेते रहें। याद रखिए मानवता से जीवन सुधर सकता है। इसलिए इससे सतर्क रहें। 

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