हरतालिका तीज विशेष
काव्य साहित्य | कविता महेन्द्र तिवारी1 Sep 2025 (अंक: 283, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
हरी चूड़ियों की खनक सुनाई दे,
सिंदूरी माँग में रौशनी दिखाई दे।
शिव-पार्वती की कथा अमर हो जाए,
हर नारी का मन भक्ति में रम जाए।
व्रत की भक्तिमय बेला की पुकार,
सखियों संग पार्वती का संकल्प अपार।
हृदय की ज़िद थी, शिव ही हों साथी,
आस्था ने बना दी तपस्या की थाती।
निर्जल अधर पर विश्वास का गीत,
रात्रि-जागरण में प्रेम का संगीत।
सज-धज कर बहनें संग बैठतीं,
मन की व्यथा लोकगीतों में कहतीं।
मेहँदी की लाली, झूलों की मिठास,
हरियाली में छिपा उत्सव का अहसास।
पिया की लंबी उमर की हो कामना,
सजीव हो उठती दांपत्य की साधना।
हरतालिका नारी का अदम्य प्रयास,
आस्था, प्रेम और विश्वास का प्रकाश।
पार्वती ने जो राह दिखाई सबके हित में,
वही आज शक्ति है हर स्त्री के हृदय में।
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