आज़ादी का गीत
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत महेन्द्र तिवारी1 Sep 2025 (अंक: 283, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
हम खेतों की ख़ुश्बू हैं,
हम पवन के उत्तम गीत,
हम उजली भोर का सपना,
हम ही जीत की रीत।
ना दीवारों की बेड़ियाँ,
ना मन का अंधियार,
हम सच के सूरज लेकर
करेंगे हर संकट पार।
हम हैं माँ की आँखों का
जगता हुआ उजास,
हम हैं श्रमिक की हथेली
पर लिखा वह विश्वास।
ना जात-पाँत की रेखाएँ,
ना नफ़रत का बोल,
हम हैं मिलन की भाषा,
हम प्रेम लुटाएँ अनमोल।
आओ मिलकर गाएँ सब,
इस माँ भारती का गान,
हम सब मिलकर रच देंगे
एक नया भारत महान।
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