मेहमान . . .
काव्य साहित्य | कविता मनोज शाह 'मानस'1 Mar 2022 (अंक: 200, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
भाव
स्वभाव
अभाव और प्रभाव . . .!
वस्तु
जीव जंतु
उठे हुए हाथों से तथास्तु
अगर मगर लेकिन किन्तु परंतु . . .!
विचार
जीवन संचार
नफ़रत और प्यार
ऐसा ही है यह संसार . . .!
अनुबंध
ठिठुरता सम्बन्ध
नहीं इंसानियत का गंध
इंसानियत पर लगा प्रतिबंध . . .!
ये जितने भी ज़िन्दगी में है
और ज़िन्दगी स्वयं भी
कुछ पल के लिए . . .
नये नये रंग चढ़ाकर
आने वाले एक
मेहमान है . . .!
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अनुभूति
- अपना बनाकर . . .
- अपने–पराये
- आकाश तुम्हारा है . . .
- इन्हीं ख़्वाहिशों से . . .
- इश्क़ की ख़ुशबू . . .
- एक जन्म में . . .
- एक दीप जलाना चाहूँ
- एलियन नहीं हूँ मैं
- कर्म और भाग्य . . .
- कुछ पल की मुलाक़ातें...
- गर्मी बेशुमार . . .
- चलो मिलकर दीप जलायें
- ढलता हुआ वृक्ष
- तुम्हारा ही ख़्याल
- तुम्हारे लिए . . .
- थोड़ी सी तो राहत दे दो . . .
- दास . . .
- दूसरा अभिमन्यु . . .
- धूप छाँव एक प्रेम कहानी . . .
- नया हिंदुस्तान
- परिवर्तन . . .
- पहले प्रिया थी . . .
- प्रेम पत्र
- फकीरा चल चला सा . . .
- बेवजह
- भाग्य की राहों पर
- मेहमान . . .
- याद बहुत आते हो पापा
- रेत सी फिसलती ज़िंदगी
- लू चल रही है
- श्वेत कमल
- सचमुच चौकीदार हूँ . . .!
- सफ़र और हमसफ़र . . .
- ज़िन्दगी क्या . . .?
नज़्म
गीत-नवगीत
कविता - हाइकु
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं