नया हिंदुस्तान
काव्य साहित्य | कविता मनोज शाह 'मानस'1 Aug 2021 (अंक: 186, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
आगाज़ भी आवाज़ भी
नये हिन्दुस्तान की
देख बदल रही है
रंगत तेरे आसमान की
सौगंध हमें इस मिट्टी की
सौगंध धरती आसमान की
चिल्लाए शान्ति शान्ति
फैलाए आतंक की भ्रान्ति
वार करे धोखे से यह
नहीं चिन्ता हमारे अरमान की
चौकीदार हूँ देश का मैं
करुँ चिंता इसके सम्मान की
वचन मेरा है भारत माँ को
शपथ देश के अरमान की
आगाज़ भी आवाज़ भी
देख ले हिन्दुस्तान की
मैं देश नहीं मिटने दूँगा
मैं देश नहीं झुकने दूँगा
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