एक जन्म में . . .
काव्य साहित्य | कविता मनोज शाह 'मानस'15 Oct 2022 (अंक: 215, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
मैं जैसा दिखता हूँ 
मैं वैसा नहीं हूँ 
मैं जैसा हूँ 
मैं वैसा नहीं दिखता हूँ . . .! 
 
‘मैं’ में दिख रहा 
‘मैं’ नहीं हूँ . . . 
मैं नहीं दिख रहा हूँ 
ऐसा भी नहीं है 
मैं क्या हूँ . . .? 
मुझे ही मालूम नहीं है . . .! 
 
कोई एक जन्म में 
कितने बार 
मर सकता है . . .? 
और . . .
किस किस अवस्था में 
मर सकता है . . .? 
 
क्या इस संदर्भ में 
कोई मनोचिकित्सक 
कुछ कह सकता है . . .? 
 
मैं अपना 
हिसाब किताब 
करने लगा हूँ 
कितने बार 
मरा हूँ . . .? 
इसका . . .!!!! 
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