प्रेम पत्र
काव्य साहित्य | कविता मनोज शाह 'मानस'1 Aug 2021 (अंक: 186, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
हे कान्हा!
यह प्रेम पत्र है या
आपके दिल में उठे
ज्वार भाटा का संदेश।
सिर्फ़ नाम ही
लिख दो कान्हा
धड़कन बन
कर जाऊँ दिल में प्रवेश।
खोला मैंने पत्र बड़े ही अंदाज़ में
देख रहा था मुझे जैसे यूँ
कि क्या हो गया मेरे साथ कायनात में।
पढ़ रही थी जब प्रेम पत्र तेरा
बड़े ज़ोर से धड़क रहा था दिल मेरा।
तुम मुझ में समा जाओ
मैं तुझ में रहे ना कुछ शेष।
पर उस प्रेम पत्र को
देखा, उसने मुझे।
चमक रहीं थीं आँखें उसकी
न जाने क्या कहना
चाह रहा था मुझे।
होठों पर आयी एक
चमकती हुई मुस्कान उसके।
शायद जानता था मेरे दिल के
जज़्बात न जाने कब से।
छोड़ चुकी हूँ तेरे विरह में
अपना घर अपना देश।
सखी बताती हूँ
एक बात तुम सब को
रखना सँभाल कर उसको।
सच्चा प्यार नहीं मिलता
ज़माने में सबको
लेकिन मिले अगर तो
ख़ुदा से भी बढ़कर मानना उसे।
बना कर रखना
अपने जीवन पर
सदा परछाई उसे।
हमारा प्यार सच्चा हो पवित्र हो
जग को मिले यही संदेश।
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