चलो मिलकर दीप जलायें
काव्य साहित्य | कविता मनोज शाह 'मानस'1 Nov 2021 (अंक: 192, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
चलो मिलकर दीप जलायें
चलो मिलकर दीप जलायें
अपनी ही मिट्टी से
बना दीया जलायें !
अंधकार को मिटायें ..
अंहकार को मिटायें ..!!
चलो मिलकर दीप जलायें
चलो मिलकर दीप जलायें
अपनी ही कपास से
बनी बाती जलायें !
दुराचार को मिटायें
भ्रष्टाचार को मिटायें !!
चलो मिलकर दीप जलायें
चलो मिलकर दीप जलायें
अपनी खेतों के तिल से
बना तेल जलायें !
कुविचार को मिटायें
धर्म के व्यापार को मिटायें !!
अंधकार को मिटायें
अंहकार को मिटायें
चलो मिलकर दीप जलायें
अपनी ही देश में दीप जलायें
अपनी ही देश में दीप जलायें !!!
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