दूसरा अभिमन्यु . . .
काव्य साहित्य | कविता मनोज शाह 'मानस'15 Dec 2022 (अंक: 219, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
अभिमन्यु को कैसे हराया गया।
अभिमन्यु को कैसे मारा गया॥
जब भी इतिहास द्वारा ये सवाल होंगे।
सम्भवतः आपके पास दो जवाब होंगे॥
पहला कौरव सेना महारथियों ने छल कर।
मार डाला उन्हें सैकड़ों कायर सेना घेरकर॥
दूसरा अर्जुन द्वारा चक्रव्यूह-तोड़ विद्या।
सुनाते वक़्त नींद में सो गई थी सुभद्रा॥
सुन न पाया गर्भ में चक्रव्यूह-तोड़ हुनर।
परिणाम मारा गया चक्रव्यूह में फँसकर॥
परन्तु इस सवाल का नहीं है सही जवाब।
मैं बताना चाहता हूँ इसका सही जवाब॥
कौरवों ने वह रणनीति कूटनीति के तहत।
युद्ध क्षेत्र से दूर ले गया यही है हक़ीक़त॥
दूर बहुत दूर ले जाया गया जानबूझकर ही।
पहुँच न सके अर्जुन पुत्र के पास चाहकर भी॥
अगर अर्जुन तत्क्षण अभिमन्यु के क़रीब होता।
अभिमन्यु को मारने की न तरकीब न छल होता॥
फ़िलहाल मुल्क में युद्ध क्षेत्र सज चुका है।
रणनीति कूटनीति की षड्यंत्र रच चुका है॥
अभिमन्यु को घेरने की पूरी तैयारी हो चुकी है।
षड्यंत्र कूटनीति छलनीति सारी हो चुकी है॥
कौरवों के योद्धा है कांग्रेस सपा बसपा।
लालू वामपंथी आप ओवैसी और ममता॥
हो रहे हैं इकट्ठे चीन नेपाल पाकिस्तान।
तोड़ना बिखेरना चाहते हैं नया हिंदुस्तान॥
अब बस आख़िरी रणनीति के तहत छलकर।
कोशिश जारी है अर्जुन को रणक्षेत्र से दूर कर॥
तब भी कह रहा था अभिमन्यु।
अब भी कह रहा है अभिमन्यु॥
काफ़ी अकेला हूँ अकेला ही काफ़ी हूँ।
सदियों के गुनाहों की दे रहा माफ़ी हूँ॥
क्या करना है आप पर ही है निर्भर।
साथ देना है सम्भवतः हर पल निरंतर॥
भागना है अभिमन्यु को अकेला छोड़कर।
या विजय देखना चाहते हैं साथ रहकर॥
याद रहे दूसरे शाहीन बाग़ की पुरज़ोर कोशिश है।
देश को तोड़ने की हर सम्भव निरंतर कोशिश है॥
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