लड़ो दुश्मन से
काव्य साहित्य | कविता मुहम्मद आसिफ़ अली1 Dec 2021 (अंक: 194, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
लड़ो दुश्मन से अगर जान बाक़ी है
तोड़ो पहाड़ अगर अरमान बाक़ी है
तुम्हारी मेहनत भी कभी रंग लाएगी
अरे तुम्हारी क़िस्मत भी इतिहास बनाएगी
जो पहले थे वो भी इंसान थे
ख़ुद से डरने वाले बताओ कब महान थे
ये बीती ज़िन्दगी एक दिन याद आएगी
गुज़री हुई बात फिर तुमको रुलाएगी
अभी कर लो शुरू अगर आगे बढ़ना है
इस छोटी ज़िन्दगी में अगर कुछ करना है
चलो आओ अभी कुछ काम बाक़ी है
दुनिया में बनाना अभी नाम बाक़ी है।
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