कक्षा की सबसे होशियार लड़की
काव्य साहित्य | कविता माधव नागदा31 Mar 2017
सुगना को नहीं मालूम
किस धारावाहिक में है
"सुगना" किरदार
सुगना टीवी नहीं देखती
टीवी नहीं है सुगना की टपरी में
बिजली भी नहीं है
रात को
अँधेरे में डूबी रहती है
सुगना की ढाणी
जब सो जाते हैं सब,
सुगना
चिमनी के मद्धम प्रकाश में
उलझती है गणित के सवालों से
संतुलित करती है रसायन के समीकरण
मन की सलाइयों से
बुनती है सपने ज़िंदगी के
सुगना
समझाती है सहपाठियों को
ऐसे जलते हैं ऐरोमेटिक पदार्थ
जैसे चिमनी से उठता धुँआ
कक्षा की सबसे होशियार लड़की है सुगना
मैडम कहती है
सुगना कुछ बनकर दिखायेगी!
क्या बनोगी सुगना तुम
कलक्टर, ,सपी या प्रोफ़ेसर?
ख़ूब कुरेदो
तब कहीं जाकर
सपनों की गठरी खोलती है सुगना-
बिजली इंजीनियर बनेगी
टपरियों में उजास भरेगी
रोशन करेगी ढाणी-ढाणी को,
फिर
होशियार बच्चों को
नहीं पढ़ना पड़ेगा
चिमनी का धुआँ पीकर
नहीं होना होगा झुककर दोहरा
किताबों कापियों पर,
शहरियों की तरह
ढाणी के बच्चे भी
कमर सीधी रखकर पढ़ेंगे
नम कर नहीं
तनकर चलेंगे!
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