आम आदमी कई सवाल?
काव्य साहित्य | कविता सुनील कुमार मिश्रा ‘मासूम’1 Jul 2025 (अंक: 280, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
क्यूँ उठा रहा है कष्ट?
गुहार लगाई है जिनसे,
निकल रहे वो भ्रष्ट।
क्यूँ दे रहा भगवान को गाली?
नहीं सुनी जा रही उसकी,
नहीं देखते हालत-माली।
क्यूँ टूट रही उसकी आस?
राम-राज्य बीते जग की बात
उसको हो गया विश्वास।
क्यूँ सह रहा है मार?
अपराधी तो बच निकल रहे,
निज चरित्र पर हो रहा प्रहार।
कब हो उसका बेड़ा-पार?
आए राम-सा 'भूपाल' जिससे
सुधरे सिस्टम का व्यवहार॥
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