प्यारे कपोत
काव्य साहित्य | कविता सुनील कुमार मिश्रा ‘मासूम’1 Jun 2025 (अंक: 278, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
मेरे विद्यालय की कक्षा शिशु, जिसमें है एक मठोठ।
उस पर बसर करते, दांपत्य जीवन वाले कपोत॥
जो अपने नन्हे द्विज हेतु, करते है कर्म नाना।
मादा कपोत करती सुरक्षा, पुरुष लाता दाना॥
दोनों ने तिनका-तिनका लाकर, है बनाया घोंसला।
उनको अपने द्विज को पालने का, है पूरा हौसला॥
है कलयुग मानव से अच्छा, ममत्व और प्यार।
लगता है ऐसा, जैसा सतयुग सा व्यवहार॥
प्यारे कपोत जोड़े से, है ‘मासूम’ का कहना।
निज द्विज की रक्षा हेतु, हर फर्ज़ अदा तुम करना॥
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