समय (चन्द्र मोहन किस्कू)
काव्य साहित्य | कविता चंद्र मोहन किस्कू15 Jan 2020 (अंक: 148, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
वक़्त पर नहीं जागोगे तो
देख नहीं पाओगे
खिली फूल पर शबनम
पक्षियों का कलरव
सुन नहीं पाओगे
वक़्त पर नहीं जागोगे तो
आँखों से काजल चुरायेंगे तुम्हारे
पैर तले की ज़मीन चुरा लेंगे
जान ही नहीं पाओगे
समय पर सावधान नहीं होगे तो
तुम्हारे देश में दुश्मन घुस आएँगे
अपने ही घर से खदेड़ देंगे
दूसरों के पराधीन रहना पड़ेगा तुम्हें
समय पर नहीं पहुँचो तो
प्यार को खो दोगे
छोड़कर जायेगी काली निशान
हृदय को घायल करनेवाली
स्पष्ट स्मृति
इसलिए कह रहा हूँ तुमसे
समय पर ही समय के
मूल्य को समझो
और नहीं तो
अफ़सोस के सिवा कुछ भी नहीं मिलेगा।
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