जीवन : लड़कियों का
काव्य साहित्य | कविता चंद्र मोहन किस्कू15 Nov 2020 (अंक: 169, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
प्रतिदिन ही अख़बार में
ख़बर बन रही हैं
लड़कियाँ
कहीं पर उसकी
इज़्ज़त लूटी गई है
कहीं पर उसे
डायन कहा गया है
और कहीं पर उसे
ज़िन्दा जला दिया गया है
अपनों के बीच
रहने पर भी
वह अकेला ही –
नरक का जीवन
जी रही है
माँ की गर्भ में
रहने पर भी
उसे शांति कहाँ
लोग जान जायेंगे तो
वह बच नहीं पायेगी।
अब चारों ओर
अपने आँसू गिरा रहीं हैं
औरतें।
सबको इज़्ज़त देती
प्यार बाँटती है हर पल
और वह ख़ुद
एक बूँद प्यार के लिए भी
तरसती रहती है।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अपने गाँव की याद
- आँसू की बूँद में घर की तस्वीर
- आज़ादी का सपना
- आज़ादी (चन्द्र मोहन किस्कू)
- एक शाम
- जीवन : लड़कियों का
- तुम और मैं
- तुम याद आते हो
- तुम्हारा मीठा चुम्बन
- नगर
- नव आशा की धरती
- प्यार ही तो है
- लड़कियों को बहुत काम है
- वट वृक्ष का इतिहास
- सत्य
- समय (चन्द्र मोहन किस्कू)
- स्मृति अपने गाँव की
- हम औरतें
- हुल के फूल
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं