हम औरतें
काव्य साहित्य | कविता चंद्र मोहन किस्कू15 Nov 2020 (अंक: 169, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
हम औरतें
हृदय में
लज्जा और अपमान का
दर्द और बोझ लेकर
यहाँ से वहाँ
क्यों दौड़ते रहेंगे
किसी के बलात्कार के बाद
हत्या होने पर
या किसी को
ज़िन्दा जलाने पर
घर से निकलकर
मृत आत्मा की शान्ति
के लिए
सड़क पर मोमबत्ती
क्यों जलायेगें
हम भी तो
बन्द मुट्ठी को आसमान की ओर
दिखाकर
लज्जा और अपमान के
ख़िलाफ़ बोल सकेंगे
पत्थरों से आग
जला सकेंगे
और उस आग से
बुरे लोगों की
बुरी मनसिकता को
जला सकेंगे
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