सफ़र की तैय्यारी
काव्य साहित्य | कविता डॉ. रति सक्सेना23 Feb 2017
तुमने घड़ी उठाई,
वक़्त तुममें भरने लगा
सुइयों से नापता हुआ
पेन में भर लिया तुमने
सारा कि सारा आत्मविश्वास
कुछ लिया इधर से
कुछ उधर से
हड़बड़ाते हुए चल दिए
फिर एक सफ़र पर
तुम्हारी घड़ी की सूई ने टोका
कुछ भूल तो नहीं गए
नहीं, तुमने सिर हिलाया
चल दिए,
आधा रास्ता पार कर
तुम्हें कुछ याद आया
इधर मेरे मोबाइल पर
संदेश आया
जा रहा हूँ
ध्यान रखना
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