रिश्ते
काव्य साहित्य | कविता डॉ. रति सक्सेना23 Feb 2017
कुछ रिश्ते
तपती रेत पर बरसात से
बुझ जाते हैं,
बनने से पहले
रिश्ते
ऐसे भी होते हैं
चिनगारी बन
सुलगते रहते हैं जो
ज़िन्दगी भर
चलते साथ कुछ क़दम
कुछ रुक जाते बीच रास्ते
रिश्ते होते हैं कहाँ
जो साथ निभाते हैं
सफ़र ख़त्म होने तक
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