वो एक मुद्दत का इश्क़
काव्य साहित्य | कविता अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’15 Jun 2021 (अंक: 183, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
बहुत बेचैन होता हूँ
आपकी हर एक बात से,
इश्क़ भी पनपता हैं कहीं दिल में
पर एक अजीब विडंबना है।
मेरा बेचैन होना, इश्क़ का पनपना
मुझे बेवफ़ा बनाती है,
उस एक नाकामयाब
एक तरफ़ा इश्क़ के प्रति।
वो एक मुद्दत का इश्क़।
तब नासमझ था
कुछ बोल नहीं पाया
कि बहुत इश्क़ है उससे,
आज समझा हूँ
कुछ बोल नहीं पाऊँगा
कि कुछ नहीं है तुमसे।
अब भी चाहत है दिल में
उस अधूरे इश्क़ के प्रति।
वो एक मुद्दत का इश्क़।
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टिप्पणियाँ
विक्की राव 2021/08/30 02:05 PM
Awesome
आलोक वर्मा 2021/07/01 03:23 AM
बेहतरीन कविता
अजय चंद्राकर 2021/06/24 01:42 AM
Nice poem
कुलदीप शर्मा 2021/06/17 05:14 PM
बहुत बढ़िया कविता सर
Nisha 2021/06/15 09:26 PM
Nice poem
अभय चौटाला 2021/06/14 02:18 AM
बहुत ही गहरी कविता भाई
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विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
अभय राठौड़ दानापुर 2021/10/20 11:21 PM
Nice poetry