सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम
शायरी | ग़ज़ल अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’15 Jun 2021 (अंक: 183, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
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सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम
बनो तो मिरी शोअरा तुम
ये सोना ये चाँदी ये हीरा
है खोटा मगर हो खरा तुम
तिरा ज़िक्र हर बज़्म में है
सभी ज़िक्र से मावरा तुम
मिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अब
ख़बर है हो नुक्ता-सरा तुम
मिलो भी कभी घर पे मेरे
करो चाय पर मशवरा तुम
थी ये दोस्ती कल तलक ही
हो अब 'अर्श' की दिलबरा तुम
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टिप्पणियाँ
प्रमोद मण्डल 2021/10/20 11:27 PM
खूबसूरत ग़ज़ल
अभय राठौड़ दानापुर 2021/10/20 11:20 PM
Bahut khub ghazal
विक्की राव 2021/08/30 02:05 PM
Waah मिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अब ख़बर है हो नुक्ता-सरा तुम
कुंदन शर्मा 2021/08/25 03:55 PM
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल
आलोक वर्मा 2021/07/01 03:22 AM
सुंदर शायरियां
अशोक वाजपेयी 2021/06/26 05:01 AM
बेहतरीन
अजय चंद्राकर 2021/06/24 01:40 AM
Lazbab ghazal
विनोद उपाध्याय 2021/06/23 08:33 PM
बहुत ख़ूब
Dr. Shankar lal 2021/06/22 12:02 PM
Lajwab ghazal mahoday
कुलदीप शर्मा 2021/06/17 05:12 PM
shandar ghazal sir
दिलीप सिंह 2021/06/15 11:00 PM
वाह वाह क्या बात है
Tanu Neha 2021/06/15 09:38 PM
मिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अब ख़बर है हो नुक्ता-सरा तुम
Nisha 2021/06/15 09:24 PM
Awesome
Kavi niraj 2021/06/15 01:39 PM
umda ghazal behatreen
प्रवीन ठाकुर 2021/06/14 09:23 PM
बहुत ख़ूब
अभय चौटाला 2021/06/14 02:16 AM
छोटी बह्र में बहुत ही लाज़बाब ग़ज़ल वाह
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उपलब्ध नहीं
प्रमोद मण्डल 2021/10/20 11:28 PM
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