गीत-ओ-नज़्में लिख उन्हें याद करते हैं
शायरी | ग़ज़ल अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’1 Oct 2021 (अंक: 190, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
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गीत-ओ-नज़्में लिख उन्हें याद करते हैं,
चाय की सोहबत में दिल को शाद करते हैं।
इस शब-ए-ग़म में क्या हम शब-ज़ाद करते हैं,
बस सुबह तक ताब-ए-ग़म ईज़ाद करते हैं।
ख़ुद-कलामी की आदत हम को हुई जब से,
तब से बस तन्हाई पर बेदाद करते हैं।
बढ़ रही है जितनी मीआद-ए-सितम दिल में,
और भी हम ग़ज़लों को नौशाद करते हैं।
अर्श तुम भी तो जानो क्या क्या मुहब्बत में,
हीर-राँझा-ओ-शीरीं-फ़रहाद करते हैं।
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टिप्पणियाँ
दिलीप सिंह 2021/10/20 11:12 PM
Gajab sher
प्रवीन ठाकुर 2021/10/20 06:57 PM
Waah khub
आलोक वर्मा 2021/10/10 01:04 PM
Waah
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ऑडियो
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अभय राठौड़ दानापुर 2021/10/20 11:17 PM
Khubsurat ghazal bahi