हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू
शायरी | ग़ज़ल अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’1 Nov 2021 (अंक: 192, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
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हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू,
हर गीत मेरी हर ग़ज़ल में शामिल है तू।
है ख़ुश-नुमा ये ज़िंदगी मेरी आजकल,
ये है कि मेरे आजकल में शामिल है तू।
मैं बे-अदब था बन गया लेकिन बा-अदब,
जब से मेरे तर्ज़-ए-अमल में शामिल है तू।
तेरी तो ना-मौजूदगी में भी दीद है,
हर वक़्त मेरे नैन-तल में शामिल है तू।
कैसे बयाँ मैं कर सकूँ तेरे हुस्न को,
ये इल्म है हुस्न-ए-अज़ल में शामिल है तू।
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टिप्पणियाँ
अभय राठौड़ दानापुर 2021/10/20 11:20 PM
Shandar
दिलीप सिंह 2021/10/20 11:13 PM
behtareen ghazal
प्रवीन ठाकुर 2021/10/20 06:57 PM
Wah waah
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- हर सम्त इन हर एक पल में शामिल है तू
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
प्रमोद मण्डल 2021/10/20 11:29 PM
बेहतरीन गजल