उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते
शायरी | ग़ज़ल अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श’15 Jun 2021 (अंक: 183, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
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उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते
वो भी कभी यूँ मेरे क़स्बे से गुज़रते तो देखते
बस दीद की उनकी ख़ाहिश लेकर भटकता हूँ शहर में
लेकिन कभी तो वह भी राह गली में दिखते तो देखते
केवल बहाना है यह मेरा चाय पीना उस चौक पे
सौदा-सुलफ़ लेने वह भी घर से निकलते तो देखते
हर रोज़ उनको बिन देखे ही लौट आने के बाद मैं
अफ़सोस करता हूँ कि थोड़ा और ठहरते तो देखते
मैं बा-अदब ठहरा था जब गुज़रे थे वो मेरे पास से
ऐ 'अर्श' उस दिन ही गर आँखें चार करते तो देखते
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टिप्पणियाँ
विक्की राव 2021/08/30 02:03 PM
kya baat gajab
कुंदन शर्मा 2021/08/25 03:57 PM
खूबसूरत ग़ज़ल
आलोक वर्मा 2021/07/01 03:21 AM
ख़ूबसूरत शायरियां जी
अशोक वाजपेयी 2021/06/26 04:59 AM
सुन्दरम
अजय चंद्राकर 2021/06/24 01:39 AM
Kya kahne bas waah
विनोद उपाध्याय 2021/06/23 08:30 PM
शानदार ग़ज़ल वाह जनाब
Dr. Shankar lal 2021/06/22 12:01 PM
Bahut hi khub ghazal mahoday.. namaskar
कुलदीप शर्मा 2021/06/17 05:13 PM
शानदार गजल सर
दिलीप सिंह 2021/06/15 10:59 PM
कमाल की ग़ज़ल सर
Tanu neha 2021/06/15 09:36 PM
Touching poetry
Nisha 2021/06/15 09:23 PM
Nice shayari
Kavi Niraj 2021/06/15 01:33 PM
umdaa ghazal bhai sahab bahut khub
Pradeep Bhardwaj 2021/06/15 02:04 AM
Lovely, nice gajal
प्रवीन ठाकुर 2021/06/14 09:19 PM
कमाल की ग़ज़ल जनाब
Rishu Shrivastava 2021/06/14 11:45 AM
Wonderful..
अभय चौटाला 2021/06/14 02:14 AM
वाह वाह बहुत खूब ग़ज़ल कही है आपने वाह
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अभय राठौड़ दानापुर 2021/10/20 11:17 PM
Khubsurat Ghazal