तुम्हारे अवकाश का दिन
काव्य साहित्य | कविता डॉ. प्रेम कुमार15 Nov 2023 (अंक: 241, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
तुम्हारे अवकाश का दिन
बोझिल-सा बीतता है मुझ पर
बढ़ जाती है उसकी अवधि
छोटे-छोटे कार्यों से भी
पैदा होने लगती है
ऊब, थकावट और तनाव
कंप्यूटर-स्क्रीन की रोशनी जलाने लगती है
आँखों की पुतलियों को
उसमें उभरे अक्षरों की नोक
फाँस की तरह चुभकर
कर देते हैं कण्ठ को ज़ख़्मी
जिससे जिह्वा पर आ जाती है कड़वाहट
सहकर्मियों के साथ
बात-बात पर हो जाते हैं विवाद
बार-बार नज़रें
दौड़ने लगती हैं कार्यालय की
मुख्य दीवार पर टँगी
घड़ी पर
संदेह होने लगता है
उसमें लगी सुइयों की
नियत गति पर
जैसे, तीन नन्ही
कोमल पत्तियों पर
आज जबरन लाद दिया गया हो
चार-चार मन का बोझ
उबकाई आने लगती है
कमरे के वातावरण से
मन को भरमाने हेतु
अ-कार्य ही निकाल पड़ता हूँ बाहर
बाहर का वातावरण भी
लगने लगता है स्थिर
विश्वविद्यालय परिसर में
दशकों से खड़ा पीपल का वृक्ष
मानो, आज पूरे वेग के साथ
उगल रहा हो प्राण-घातक वायु
सुस्त लगते हैं
चम्पा, चमेली, हारसिंगार और
गुलाब के फूल
बग़ीचे में लगी
पत्थर की वह बेंच
जिस पर हम अक़्सर बैठकर
बतियाया करते थे
भोजनावकाश के दौरान
आज लग रही है
किसी क़ब्रगाह के समान
न जाने कब क़ब्र तोड़कर
प्रेत आ खड़ा हो जाये समक्ष
भयभीत होकर
पुनः लौट आता हूँ
अपने ही कार्यालय में
तुम्हारी मेज़ पर रखा
इतराता कंप्यूटर, पेन जार और
निकट की दीवार पर चिपकी हुई
कुछ रंगीन बिंदियाँ
जिन्हें तुम गत सप्ताह में ही
बड़े क़रीने से
अपने माथे पर सजाकर आई थीं
कानों में पड़ती
प्रत्येक स्त्री-ध्वनि पर
मुड़-मुड़कर देखने लगता हूँ
तुम्हारी नियत जगह की ओर
जहाँ बैठकर
तुम करती थीं अंग्रेज़ी भाषा में रचित
देशी-विदेशी साहित्य में
समाहित अनेक दर्शन के
गूढ़ रहस्यों की पड़ताल
अनमना-सा पड़ा तुम्हारा
सफ़ेद कॉफ़ी मग
जिसमें तुमने बड़े ही
चाव के साथ ली है
भोला द्वारा सर्व की गई
कॉफ़ी और चाय की चुस्कियाँ
उसकी किनारियों पर उभरे
तुम्हारे होंठों पर फबती
लिपिस्टिक के निशान
जो कि साबुन से रगड़-रगड़कर
धोने पर भी छूटे नहीं और
अब भी जता रहे हैं
अपनी उपस्थिति को
उपस्थित तो है सब कुछ
लेकिन तुम ही हो आज अनुपस्थित
तुम अनजान हो मेरे हालात से
तुम जाती ही नहीं मेरे खयालात से
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
सामाजिक आलेख
कहानी
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं