बातचीत
काव्य साहित्य | कविता कुमार लव1 Sep 2023 (अंक: 236, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
“Conversation is useless as a cup of water against a grease fire. The conversation will kill me and leave the audience grateful, glad, and at ease.”
—Fargo Tbakhi, Being Listened To
एक गिलास पानी से
नहीं बुझेगा
जलता हुआ मणिपुर।
एक गिलास पानी से
नहीं धुलेंगे
हमारे चाँद पर पड़े दाग़।
सालों की शान्ति के बाद
फिर आए हैं चुनाव,
एक गिलास पानी से
नहीं बुझेगी प्यास
शवभक्षी कीड़ों की।
बातचीत कर
अच्छा लगेगा तुम्हें
पर मैं
धुएँ में खड़ा
दम घुटने से मर जाऊँगा।
–-
ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको ख़बर होने तक
इस कविता को पहाड़ चाहिए। पर पहाड़ मेरे पास है नहीं। ख़ैर।
कविता फिर लिखी, पहाड़ से बचने के लिए।
चाँद
एक ढेर-कोमल कपास के फूलों का
भभक कर जल उठा।
उस रात
राख बरसी सोते हुए नगर पर,
सड़कें एक दम सूखी थीं
फिर भी फिसल गई गाड़ी
छा गया काल धुआँ
नीले आकाश पर।
एक पथरीला चाँद उगा
किसी दुस्वप्न सा काला,
ज्वार उठा बहुत ऊँचा
भर गया ख़ून सिरों में,
ग़ुस्से में उठते हाथों से
उड़ी ख़ून की बूँदें।
पड़ गए नए धब्बे
उस रात हमारे चाँद पर,
गूँगा हो गया हमारा नगर।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अभिषेक
- अरुणाचल से आए मिथुन
- आशा
- उल्लंघन
- ऊब
- एक ख़्वाब सा देखा है, ताबीर नहीं बनती
- एकल
- कानपुर की एक सड़क पर
- काला चाँद
- गंगाघाट पर पहलवानों को देख कर-1
- तो जगा देना
- नियति
- बातचीत
- बुभुक्षा
- भीड़
- मुस्कुराएँ, आप कैमरे में हैं
- यूक्रेन
- लोकतंत्र के नए महल की बंद हैं सब खिड़कियाँ
- लोरी
- शव भक्षी
- शवभक्षी कीड़ों का जनरल रच रहा नरमेध
- शाम
- शोषण
- सह-आश्रित
- हर फ़िक्र को धुएँ में . . .
- हूँ / फ़्रीडम हॉल
- हूँ-1
- हूँ-2
कविता-मुक्तक
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं