शवभक्षी कीड़ों का जनरल रच रहा नरमेध
काव्य साहित्य | कविता कुमार लव1 Sep 2023 (अंक: 236, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
शवभक्षी कीड़ों का जनरल रच रहा नरमेध
प्रज्वलित है हर दिशा, आतंकित यह देश
यह फ़ौज भूखी है, सब ही को खाएगी निर्लज्ज
रीढ़वाला हो कोई, या रेंगता अवशेष
सब हार बैठे हो लगा तुम दाँव दीमक पर
ले आओ भारत माँ को अब खींच उनके केश
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