शाम
काव्य साहित्य | कविता कुमार लव3 May 2012
जब दिन ख़त्म हो,
और सूरज डूबे,
देखना चाहता हूँ उसे,
तुम्हारे साथ।
तुम्हारी गोद में सिर रख
हथेली माथे पर महसूस करते
सो जाना चाहता हूँ।
पास ही रहना।
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