सह-आश्रित
काव्य साहित्य | कविता कुमार लव23 May 2017
मेरा दिल तुम्हारे गुर्दे से,
मेरा गुर्दा तुम्हारे दिल से
जुड़ गया है।
और
हमारी रगों में
थोड़ा सर्दी का मौसम
अटक गया है।
मैं
ख़ुद में छुप रहा हूँ,
ख़ुद को खा रहा हूँ,
वायरस हूँ।
“सह आश्रित (लगभग परिभाषा)—जो अपने आश्रित की आवश्यकता से अधिक और आमतौर पर अनुचित देखभाल करे”
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