एकल
काव्य साहित्य | कविता कुमार लव3 May 2012
बहुत कुछ
हैं मेरे पास,
तुमने दिया है,
मुझे यह कुछ नहीं चाहिए।
कुछ और . . .
शायद मिलने पर
ख़ुश हो पाऊँ।
यही सोच कर,
सब किया।
पाने से कुछ पल पहले
बहुत ख़ुश हुआ था।
पर पाने के बाद . . .।
तुम चाहे जितना प्यार करो
मुझसे,
पर मैं ख़ुद से . . .
सारे नाटक मुझे
एकल ही करने होंगे।
निभाते हुए
जाने कितने किरदार।
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