मृत्यु और मोक्ष
काव्य साहित्य | कविता नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’1 Mar 2024 (अंक: 248, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
जैसे आने का मतलब जन्म से है
वैसे जाने का मतलब मृत्यु से है
मोक्ष से नहीं
मोक्ष एक अनैतिक क्रिया है
मृत्यु नैतिक
मृत्यु शाश्वत है
और प्राकृतिक भी
मृत्यु जैविकता द्रोह है
मोक्ष विमोह
मोक्ष में पड़ा जीव
नाचता रहता है
धार्मिक रूढ़ियों के बीच
मरता नहीं।
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