जय भीम
काव्य साहित्य | कविता नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’15 Nov 2023 (अंक: 241, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
जय भीम
एक शब्द नहीं
एक वर्ण नहीं
एक जाति या
सम्प्रदाय नहीं
और ना ही किसी वर्ग
या धर्म विशेष का
परिचायक स्लोगन है।
जय भीम
एक नई
क्रांति है
सोच है
शोध है
ताक़त है
हौसला है
चेतना है
चिन्तन व
प्रेरणा है।
जय भीम
नये युग
नये दौर
नये प्रयोग
नये सिद्धांत
व परिवर्तन का
सूत्र है।
जय भीम
किसी चीज़ को
देखने का
एक अलग
अंदाज़ है
नज़रिया है
दृष्टि है
दर्शन है।
जय भीम
पर्याय है
न्याय का
क़ानून का
संविधान का
शिक्षा
ज्योति व
ज्ञान का।
जय भीम
पर्याय है
संघर्ष का
सम्मान का
एकता
बंधुत्व व
समता का।
जय भीम
प्रतिकूल है
अन्याय के
अत्याचार के
ऊँच–नीच
भेदभाव
छुआछूत
शोषण
ज़ुल्म व
ग़ुलामी के।
जय भीम
प्रतिकूल है
सदियों से
चली आ रही
परम्परागत
रीति-रिवाज़
अंधविश्वास
पाखंड व
टोना टोटका के।
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अरुण कुमार प्रसाद 2023/11/16 02:40 PM
जय भीम-विजयी हो.