क़लम का मतलब
काव्य साहित्य | कविता नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
कविता समय का अर्पण है
साहित्य समय का दर्पण है
हर मुद्दे पर बात करे जो
और समय के साथ चले जो
वही सामाजिक प्राणी है
मरहम जिसकी वाणी है
आप लिखें कौतूहल या फिर
आप लिखें क़लम को अचरज
मैं लिखूँगा क़लम का मतलब
ख़ून; पसीना; स्याही; काग़ज़
कौन अगड़ा कौन पिछड़ा
दुनियादारी झंझट झगड़ा
सब पर पैनी नज़र बनाए
अर्थ समय का हमें बताए
गीत-गान का सरगम है
साहित्य समय का संगम है
आप लिखें कौतूहल या फिर
आप लिखें क़लम को अचरज
मैं लिखूँगा क़लम का मतलब
ख़ून; पसीना; स्याही; काग़ज़
गद्य; काव्य; व्याकरण-उत्कर्ष
व्याख्या; टीका; शोध-विमर्श
समाज; संस्कृति; अनुशासन
दृष्टि; नज़रिया; ज़रिया; दर्शन,
अनुसंधान, कल्पना, अक्षत है
साहित्य समय का दस्तख़त है
आप लिखें कौतूहल या फिर
आप लिखें क़लम को अचरज
मैं लिखूँगा क़लम का मतलब
ख़ून; पसीना; स्याही; काग़ज़
अगणित विशुद्ध अनोखा
हर घड़ी का लेखा-जोखा
क़लमबद्ध करके देखा हूँ
समयबद्ध करके देखा हूँ
समय-चक्र का रहपट है
साहित्य समय की आहट है
आप लिखें कौतूहल या फिर
आप लिखें क़लम को अचरज
मैं लिखूँगा क़लम का मतलब
ख़ून; पसीना; स्याही; काग़ज़
महत्त्व क्या है वह क्या समझे
निःशुल्क-मुफ़्त रेवड़ी बाँटे जो
वही समझ सकता है क़ीमत
तिल-तिल घड़ी-घड़ी काटे जो
समय-समय का मुआईना है
साहित्य समय का आईना है
आप लिखें कौतूहल या फिर
आप लिखें क़लम को अचरज
मैं लिखूँगा क़लम का मतलब
ख़ून; पसीना; स्याही; काग़ज़
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