प्रेम की पराकाष्ठा
काव्य साहित्य | कविता नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’1 Dec 2023 (अंक: 242, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
शुरू-शुरू में हर प्रश्न का
उत्तर आता था मिनटों में
सीधे साधे किसी प्रश्न का
अब उत्तर आता है घंटोंं में
और किसी से चैटिंग चलती
लगता हूँ उबाऊ मैं
मत इतना इग्नोर करो
कि सूली पर चढ़ जाऊँ मैं
आएगा जवाब कुछ न कुछ
आस जगाए बैठा रहता
घंटों से प्रतिक्रिया की
आस लगाए बैठा रहता
दिन रात तुम्हें ही याद करूँ
तुम्हीं में खो जाऊँ मैं
मत इतना इग्नोर करो
कि सूली पर चढ़ जाऊँ मैं
पहले तुमसे चैटिंग करता
भोजन करता बाद में
तबीयत बिगड़ी धीरे धीरे
वाह वाह और दाद में
कितना तुमसे प्यार हूँ करता
कैसे यार समझाऊँ मैं
मत इतना इग्नोर करो
कि सूली पर चढ़ जाऊँ मैं
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