ग़ुरूर ख़ाक हो जाएगा
शायरी | नज़्म नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
ग़ुरूर ख़ाक हो जाएगा
मग़रूर ख़ाक हो जाएगा
अपने पाप-कर्मों से ही
असुर ख़ाक हो जाएगा
खाया एक गच्चा जो तो
सुरूर ख़ाक हो जाएगा
फुला ग़र जो गुब्बारे-सा
ससुर ख़ाक हो जाएगा
ख़ुद-ब-ख़ुद आताताई
हुज़ूर ख़ाक हो जाएगा
अडिग रहना सच्चाई पे
क़सूर ख़ाक हो जाएगा
ख़ालिस प्रेम-मरहम से
नासूर ख़ाक हो जाएगा
सोनकर देख बब्बर शेर
कुकुर ख़ाक हो जाएगा
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मधु शर्मा 2023/09/25 05:42 AM
उम्दा विधा! हर मिसरे में क़ाफ़िया के एक ही लफ़्ज़ को 'ख़ाक हो जाएगा'' रदीफ़ के श्रृंगार से सजा डाला।