मैं ब्रह्मा के पाँव से जन्मा शूद्र नहीं हूँ
काव्य साहित्य | कविता नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’15 Nov 2023 (अंक: 241, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
बेशक
होगे तुम
मुख से जन्मे
भुजा से जन्मे
पेट से जन्मे
मगर
मैं ब्रह्मा के पाँव से जन्मा शूद्र नहीं हूँ
मेरा जन्म
विधिक लैंगिक-संसर्ग के फलस्वरूप
शेष सांसारिक प्राणियों की तरह
योनि से हुआ है
तुम्हारी तरह
पुरुष के मुख से
भुजा से
पेट से नहीं
अफ़सोस कि तुम नहीं जानते
जन्म मुख से
भुजा से
पेट से नहीं
योनि से होता है
इसलिए
मैं विधिक हूँ
वैज्ञानिक हूँ
तुम्हारी तरह काल्पनिक
अवैध नहीं
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अरुण कुमार प्रसाद 2023/11/19 12:12 PM
जो शुद्र है वह इसलिए शुद्र है क्योंकि वह अक्रुद्ध है.