ईश्वर तेरे नाम पर
काव्य साहित्य | कविता प्रीति शर्मा 'असीम'1 Aug 2021 (अंक: 186, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
ईश्वर तेरे नाम पर,
कितना व्यापार चलता है।
सुख की आस में,
हर इंसान दुःख के मझधार में पलता है।
ईश्वर तेरे नाम पर,
कितना व्यापार चलता है।
कौन . . . सुखी है?
इस प्रश्न का उत्तर ही नहीं मिलता है।
यह कौन-से कर्मों का फल है।
जिसका लेखा-जोखा फलता है।
ईश्वर तेरे नाम पर,
कितना व्यापार चलता है।
दुनिया भी तूने बनाई।
इंसान भी तेरे सभी।
फिर कहाँ से बुरे कर्मों की,
पहेलियाँ तुमने घड़ी।
हर इंसान ज़िंदगी भर नर्क की आग में जलता है।
कहाँ . . . कौन सा स्वर्ग है।
जो दुख-दर्द मिटाने के लिए,
सुख की झूठी आस पर चलचित्र -सा चलता है।
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