त्रैलोक्य सुन्दरी
काव्य साहित्य | कविता प्रियांशी मिश्रा1 Nov 2025 (अंक: 287, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
ऋषि महर्षि स्मरण करते
देव आदिदेव वंदन करते
त्रैलोक्य सुंदरी त्रैलोक्य वंदिनी
त्रैलोक्य मोहिता त्रैलोक्य मोहिनी
त्रैलोक्येश्वरी त्रैलोक्यस्वामिनी
त्रैलोक्य पूजिता त्रैलोक्य रूपिणी
त्रैलोक्य माता त्रैलोक्य जननी
हमारी सर्वेश्वरी वो ही
मात अरु पिता भी वो ही
परिवार वो ही संसार वो ही
भूदेवी समग्र भारतवर्ष वो ही
ऐश्वर्य-वैभव, धन-धान्य वो ही
सुखदात्री, दुखहर्त्ती वो ही
शिव की अर्द्धांगिनी वो ही
नवदुर्गा अष्टलक्ष्मी वो ही
मूलप्रकृति महाविद्या वो ही
धर्म वो ही, कर्म वो ही
अर्थ वो ही, मोक्ष वो ही
जीवन के चारों ध्येय वो ही
लक्ष्य वो ही, मार्ग वो ही
भक्ति वो ही, मुक्ति वो ही
शक्ति वो ही, युक्ति वो ही
आदिशक्ति पराशक्ति वो ही
ब्रह्म वो ही, परब्रह्म वो ही
ज्ञान वो ही, गुरु भी वो ही
मंत्र, जाप, आह्वान वो ही
अर्पण, यज्ञाग्नि, आहुति वो ही
गंतव्य वो, समाधान वो ही।
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