मेरे जाने के बाद
काव्य साहित्य | कविता दीपक15 Oct 2021 (अंक: 191, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
चले जाऊँ मैं अगर तो यह ख़्याल रखना,
तुम अपने दिल से यह सवाल रखना।
क़ुसूर क्या था जो तुम्हारे प्रेम में फ़ना हुए हम?
तुमको चाहना, तुम्हें देखना, ये स्वभाव रखना?
निर्दयी हवाओं से तेरी तस्वीर सँभाल रखना,
ग़ैरों की आँखों से तुम्हें बचाए रखना।
तुम तो इस बात से नादान थी, तुम्हें क्या बोलूँ?
तुम्हारे अपने चाहते थे 'दीपक' से अलग रखना।
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